मोहब्बत को निभाती है ग़मों को वो छुपाती है
भुलाकर दर्द सारा वो सदा ही मुस्कुराती है
वफ़ा क्या है नहीं मालूम पर हाँ जानती है ये
मुझे जो चोट लगती है जहाँ सर पर उठाती है
उदासी में दिखूँ जो मैं, ख़फ़ा होकर चलूँ जो मैं
कोई बिखरा हुआ सा फूल बनकर बैठ जाती है
दवा वो है दुआ वो है सदा वो है मेरे दिल की
ग़ज़ल खुद को बताए वो मुझे मतला बताती है
मोहब्बत को मेरी वो जान यूँ महफ़ूज़ रखती है
कि जैसे माँ कोई सीने से बच्चे को लगाती है
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