Ahmad Ata

Ahmad Ata

@ahmad-ata

Ahmad Ata shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ahmad Ata's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
बेबसी ऐसी भी होती है भला
ज़िंदगी ऐसी भी होती है भला

रौशनी अब मेरे अश्कों से है बस
तीरगी ऐसी भी होती है भला

हँसते हँसते हो गया बर्बाद मैं
ख़ुश-दिली ऐसी भी होती है भला

चीख़ता रहता हूँ अक्सर बे-सबब
बेकसी ऐसी भी होती है भला

जी रहा हूँ मैं उसे देखे बग़ैर
बे-हिसी ऐसी भी होती है भला

पूछते हो ऐब औरों से मिरे
दोस्ती ऐसी भी होती है भला

ज़िंदगी ऐसी ही होती है भई
ज़िंदगी ऐसी भी होती है भला

रंग ही चेहरे पे लहराते हैं अब
जाँ-कनी ऐसी भी होती है भला

हैं लहू की बूँदें अब मेरी सिपाह
सर-कशी ऐसी भी होती है भला

एक ही सूरत यहाँ चारों तरफ़
रौशनी ऐसी भी होती है भला

गाल झुलसे जा रहे हैं क्यूँ मिरे
चाँदनी ऐसी भी होती है भला
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Ahmad Ata
हमारा इश्क़ सलामत है यानी हम अभी हैं
वही शदीद अज़िय्यत है यानी हम अभी हैं

उसी पुरानी कहानी में साँस लेते हैं
वही पुरानी मोहब्बत है यानी हम अभी हैं

न जाने कब से दर-ए-दास्ताँ पे बैठे हैं
और इंतिज़ार की हिम्मत है यानी हम अभी हैं

तलब के कर्ब में इक मर्ग के दुआ-गो थे
तलब में वैसी ही शिद्दत है यानी हम अभी हैं

कसी के नाम पे हम दोस्ती निभाते थे
और अब भी वैसी ही शोहरत है यानी हम अभी हैं

तलब बढ़ाती चली जा रही है अपनी हवस
सो क़द्रे ख़ाम क़नाअत है यानी हम अभी हैं

कलाम-ए-'मीर' के सदक़े में शेर होते हैं
जो बैत है सो क़यामत है यानी हम अभी हैं

अजब ये शेर हैं अपने कि जिन में हम भी नहीं
बस एक ग़म की शरारत है यानी हम अभी हैं

ये इश्क़ पेशगी दार-ओ-रसन के हंगामे
ये रंग ज़िंदा सलामत है यानी हम अभी हैं

अमीर-ए-शहर है बेचैन शैख़ ख़ौफ़-ज़दा
अभी तलक ये अदावत है यानी हम अभी हैं

न पूरी है न अधूरी ये दास्तान-ए-अलम
कोई सुनी सी हिकायत है यानी हम अभी हैं
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