देखना अंसार को यूँ आज़माया जाएगा
कर्बला में शम्मे ख़ैमा को बुझाया जाएगा
उस घड़ी आमाल पा अपने तुझे होगा मलाल
रोज़े महशर रुख़ से जब पर्दा हटाया जाएगा
बे वफाओं का कभी जो ज़िक्र होगा सामने
नाम मेरी जाँ तुम्हारा भी बुलाया जाएगा
जिस्से बाटी जाएगी इश्क़ो मोहब्बत की ज़िया
नफरतों के शहर में वो घर बनाया जाएगा
अपनी मसनद को बचाने के लिए फिर मुल्क़ में
भाईयों को एक दूजे से लड़ाया जाएगा
याद उसको जब कभी आएगी मेरी है यकीं
नाम हाथों पा मेरा लिख कर मिटाया जाएगा
जब हुकूमत जाहिलों की आएगी तो देखना
राह चलते बे गुनाहों को सताया जाएगा
हम ग़ुलामे मुर्तज़ा हैं मौत से डरते नहीं
दार पा चढ़कर भी अकबर हक़ सुनाया जाएगा
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