Badiuzzaman Khawar

Badiuzzaman Khawar

@badiuzzaman-khawar

Badiuzzaman Khawar shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Badiuzzaman Khawar's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
मुझ को नहीं मालूम कि वो कौन है क्या है
जो साए के मानिंद मिरे साथ लगा है

इक और भी है जिस्म मिरे जिस्म के अंदर
इक और भी चेहरा मिरे चेहरे में छुपा है

महताब तो आएगा न सीढ़ी से उतर कर
दीवाना किस उम्मीद पे रस्ते में खड़ा है

मिलने की तमन्ना है मगर उस से मिलें क्या
जिस शख़्स का इस शहर में घर है न पता है

लिखता हूँ नई नज़्म-ओ-ग़ज़ल जिस के सबब मैं
वो ज़ौक़-ए-सुख़न तो मुझे विर्से में मिला है

मैदाँ में चले आओ तो खुल जाए ये तुम पर
क्या शाम की सरशार हवाओं में मज़ा है

सोचा था मिरे साथ चलेगा जो सफ़र में
घर पर वो मिरा ख़्वाब-ए-हसीं छूट गया है

हम 'मीर' का दीवान थे क्या फ़हम पे खुलते
अख़बार समझ कर हमें लोगों ने पढ़ा है

कहते हैं कि उस शहर में है धूम हमारी
देखा है किसी ने न जहाँ हम को सुना है

बाहर से कोई आज तो 'ख़ावर' को पुकारे
कमरे में बहुत रोज़ से वो बंद पड़ा है
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