Chandrabhan Khayal

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Chandrabhan Khayal shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Chandrabhan Khayal's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
सर्द सन्नाटों की सब सरगोशियाँ ले जाऊँगा
मैं जहाँ भी जाऊँगा दिल की ज़बाँ ले जाऊँगा

शहर छोड़ूँगा तो रोएँगी मिलों की चिमनियाँ
देखना इक रोज़ मैं सारा धुआँ ले जाऊँगा

वो जहाँ चाहे चला जाए ये उस का इख़्तियार
सोचना ये है कि मैं ख़ुद को कहाँ ले जाऊँगा

सत्ह-ए-दरिया रक़्स में है आज मुझ को देख कर
आज मैं उस पार अपना कारवाँ ले जाऊँगा

वो अगर दो-चार क़तरों से नवाज़ेगा तो क्या
एक इक क़तरे में बहर-ए-बे-कराँ ले जाऊँगा

मंज़रों को क्या ख़बर होगी कि उन के वास्ते
क़ुर्बतें तक़्सीम कर के दूरियाँ ले जाऊँगा

जिन अँधेरों से तुम्हें हर-वक़्त वहशत है ख़याल
उन अँधेरों तक तुम्हारी दास्ताँ ले जाऊँगा
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Chandrabhan Khayal
घड़ी-भर ख़ल्वतों को आँच दे कर बुझ गया सूरज
किसी के दर्द की लय पर कहाँ तक नाचता सूरज

निगाहों में नए अंदाज़ से फिर रौशनी होगी
जब उग आएगा ज़ेहनों में हमारे इक नया सूरज

ज़मीं का कर्ब औज-ए-आसमाँ पर भी झलक उट्ठा
नशेब-ए-कोह पर जुरअत से जब जब आ मिला सूरज

हमारे घर के आँगन में सितारे बुझ गए लाखों
हमारी ख़्वाब गाहों में न चमका सुब्ह का सूरज

शबिस्ताँ-दर-शबिस्ताँ ज़ुल्मतों की एक यूरिश है
हर इक दामन से लिपटा है लरज़ता हाँफता सूरज

हमारे बाम-ए-दर से आज भी लिपटी है तारीकी
हमारे आसमानों में बताओ कब उगा सूरज

सुना दी दास्ताँ अपनी जो हम ने बे-ज़बाँ हो कर
मिसाल-ए-क़तरा शबनम बिखर कर रो पड़ा सूरज
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Chandrabhan Khayal