Ehya Bhojpuri

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Ehya Bhojpuri shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Ehya Bhojpuri's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तुम्हारी तारीख़ कोई बदले उसे मिटाए तो सर उठाओ
अगर शराफ़त न काम आए न हक़ दिलाए तो सर उठाओ

कहीं उजाला कहीं अंधेरा बग़ैर साज़िश नहीं है मुमकिन
चराग़ जब रौशनी बराबर न बाँट पाए तो सर उठाओ

किसी के हिस्से की बारिशें जब किसी की फ़स्लों को लहलहाएँ
और उस की साज़िश का शक हवा पर अगर न जाए तो सर उठाओ

अगर हो काँटों की क़द्र-ओ-क़ीमत किसी चमन में गुलों से बढ़ कर
और उस का माली दलील दे उस को हक़ बताए तो सर उठाओ

क़लम उठाओ नज़र मिलाओ तुम अब लब-ए-एहतिजाज खोलो
मुख़ालिफ़त से मुनाफ़िक़त को कोई बुलाए तो सर उठाओ

किसी की बातों में तुम न आओ न सर उठाओ न सर झुकाव
अगर तुम्हारा ज़मीर जागे तुम्हें जगाए तो सर उठाओ

ये क्या कि हर वक़्त जी-हुज़ूरी में सर झुकाए हुए हो अहया
अगर बग़ावत का पर तुम्हारा भी फड़फड़ाए तो सर उठाओ
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Ehya Bhojpuri
किसी की चाहत में क़ैद रहना बुरा नहीं है तो और क्या है
बग़ैर खिड़की के घर में रहना सज़ा नहीं है तो और क्या है

पुराने पत्तों को झाड़ देना नए-नवेलों को राह देना
ख़ुदा के बंदे अगर ये कार-ए-ख़ुदा नहीं है तो और क्या है

ख़ुद अपने काँधों पे लाश उठाए मैं दफ़्न होने को जा रहा हूँ
ये ज़िंदा लाशों का आख़िरी मरहला नहीं है तो और क्या है

मैं जब भी चाहूँ बुला लूँ बादल गिरा दूँ बारिश उगा दूँ गंदुम
ख़ुदा के लहजे में बात करना अना नहीं है तो और क्या है

फ़सादियों को तरह तरह से जो आज हम तुम बचा रहे हैं
मुनाफ़िक़त की ये आख़िरी इंतिहा नहीं है तो और क्या है

पुराने ज़ख़्मों को याद रखना कुरेदना और नमक लगाना
फिर उस की यादों में डूब जाना नशा नहीं है तो और क्या है

हमारी मंज़िल वही है 'अहया' जहाँ से बे-दख़्ल हम हुए थे
तो जी के मरना या मर के जीना सज़ा नहीं है तो और क्या है
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