किसी की चाहत में क़ैद रहना बुरा नहीं है तो और क्या है
बग़ैर खिड़की के घर में रहना सज़ा नहीं है तो और क्या है
पुराने पत्तों को झाड़ देना नए-नवेलों को राह देना
ख़ुदा के बंदे अगर ये कार-ए-ख़ुदा नहीं है तो और क्या है
ख़ुद अपने काँधों पे लाश उठाए मैं दफ़्न होने को जा रहा हूँ
ये ज़िंदा लाशों का आख़िरी मरहला नहीं है तो और क्या है
मैं जब भी चाहूँ बुला लूँ बादल गिरा दूँ बारिश उगा दूँ गंदुम
ख़ुदा के लहजे में बात करना अना नहीं है तो और क्या है
फ़सादियों को तरह तरह से जो आज हम तुम बचा रहे हैं
मुनाफ़िक़त की ये आख़िरी इंतिहा नहीं है तो और क्या है
पुराने ज़ख़्मों को याद रखना कुरेदना और नमक लगाना
फिर उस की यादों में डूब जाना नशा नहीं है तो और क्या है
हमारी मंज़िल वही है 'अहया' जहाँ से बे-दख़्ल हम हुए थे
तो जी के मरना या मर के जीना सज़ा नहीं है तो और क्या है
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