झुक के चलता हूँ कि क़द उसके बराबर न लगे
दूसरा ये कि उसे राह में ठोकर न लगे
ये तेरे साथ तअ'ल्लुक़ का बड़ा फ़ायदा है
आदमी हो भी तो औक़ात से बाहर न लगे
नीम तारीक सा माहौल है दरकार मुझे
ऐसा माहौल जहाँ आँख लगे डर न लगे
माँओं ने चूमना होते हैं बुरीदा सर भी
उस से कहना कि कोई ज़ख़्म जबीं पर न लगे
ये तलबगार निगाहों के तक़ाज़े हर सू
कोई तो ऐसी जगह हो जो मुझे घर न लगे
ये जो आईना है देखूँ तो ख़ला दिखता है
इस जगह कुछ भी न लगवाऊँ तो बेहतर न लगे
तुम ने छोड़ा तो किसी और से टकराऊँगा मैं
कैसे मुमकिन है कि अंधे का कहीं सर न लगे
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