M Kothiyavi Rahi

M Kothiyavi Rahi

@m-kothiyavi-rahi

M Kothiyavi Rahi shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in M Kothiyavi Rahi's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
तुम्हारे पैकर से फूटने वाली रौशनी मेरी राह में है
ये फ़ासला इस लिए गवारा कि इक हक़ीक़त निगाह में है

फ़सील-ए-ग़म गिर गई तो किस से लिपट के रोएँगे शहर-ए-याराँ
ये सोच कर झूम उठा हूँ यारो कि ग़म ख़ुद अपनी पनाह में है

मैं ज़िंदगी तज के आ रहा हूँ इसी लिए मुस्कुरा रहा हूँ
ज़रा बताओ कि किस लिए अब कजी तुम्हारी कुलाह में है

तुम्हारे बाग़ों से दूर वीरान रेगज़ारों में गुल खिले हैं
शफ़क़ उफ़ुक़ के हिसार में है शगुफ़्तगी शाहराह में है

नदी नदी बे-कराँ ख़मोशी शजर शजर सोगवार साए
ये रात बीमार हो गई है कि मुब्तला फिर गुनाह में है

उदास यादों ने बाब-ए-अफ़्कार पर कई बार दस्तकें दीं
मगर क़लम है कि गुल-फ़िशाँ बिन्त-ए-शब की आराम-गाह में है

कोई क़लंदर है कोई दरवेश कोई वहशी है कोई 'राही'
हर एक शोरीदा-सर बराए-सहर तिरी ख़ानक़ाह में है
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M Kothiyavi Rahi
दराज़-क़ामत दराज़-गेसू अजीब सा इक निगार था वो
गुलों की बाग उस के हाथ में थी हवाओं पर जब सवार था वो

जुनूँ था बन कर लहू रगों में कि रात दिन दौड़ते थे लम्हे
थके न थे वो जो रुक गए थे मिरे लिए बे-क़रार था वो

मिरे ख़ुदा हुस्न के दफ़ीने को मत ख़ज़ाने का मर्तबा दे
कि पा के जो उस को ख़ुश बहुत था गँवा के कल अश्क-बार था वो

उबल पड़े नफ़रतों के सोते कि हो गई ख़ुश्क झील ग़म की
शिकस्त-ख़ुर्दा सा मुँह छुपाए न जाने किस का शिकार था वो

कभी कभी जो सुना गया था कहीं कहीं जो पढ़ा गया था
किताब में बंद हो चुका है इक उम्र का शाहकार था वो

वो दोस्तों दुश्मनों का प्यारा फिरा तमाम उम्र मारा मारा
सुना है कल ग़म ने मार डाला कि जिस का देरीना यार था वो

अजीब राही था रेग-ज़ारों में प्यास लम्हों की बो रहा था
मगर चट्टानों से गिर रहा था कि शब में इक आबशार था वो
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