आपकी बातों को बेशक मानकर अच्छा लगा
दोस्त प्रेमी बन सकेंगे जानकर अच्छा लगा
सालों से उस बंद कमरे की घुटन में क़ैद था
ख़ुद को तेरे ग़म से यूँ अनजान कर अच्छा लगा
एक ही तस्वीर को घंटों निहारा करता हूँ
आईने में ख़ुद को भी पहचानकर अच्छा लगा
लग गई ये उम्र सारी एक ही के प्यार में
प्यार में वो एक ज़िद भी ठानकर अच्छा लगा
कब से ही इस दिल में मेरे जिस घड़ी का ख़ौफ़ था
दो ही पल का उसको अब मेहमान कर अच्छा लगा
'भारती' वो शख़्स जो घर कर गया था मन में यूॅं
एक जो वो था ख़ुदा इंसान कर अच्छा लगा
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