क्या न खोया यहाँ नौकरी के लिए
क्या ये काफ़ी नहीं ख़ुदकुशी के लिए
आदमी जो करे आदमी की मदद
है मुनासिब यही आदमी के लिए
की कई कोशिशें फिर पता ये चला
चाँद की है तड़प चाँदनी के लिए
काम तो सिर्फ़ कहने से चलता नहीं
इक दिया चाहिए रौशनी के लिए
दर्द ही दर्द हैं हर तरफ़ फिर कोई
क्या करे अपने उस बेकसी के लिए
चैन पड़ता नहीं है मुझे भी यहाँ
क्या करूँ मैं भी इस आगही के लिए
तुमको है प्यार मुझसे अगर तो बनो
तुम मेरा आइना शाइरी के लिए
जब कहा तुमने वो मेरा कोई नहीं
फिर चुभन क्यूँ ये इक अजनबी के लिए
ऐ ख़ुदा तू बता कैसे जी लूँ यहाँ
हो कोई तो वजह ज़िंदगी के लिए
मुझको आशिक़ कई चाहिए ही नहीं
बस मिले इक सनम आशिक़ी के लिए
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