तेरे पास हूँ लेकिन किसको पता तन्हा हूँ
इतनी उम्दा जन्नत में या ख़ुदा तन्हा हूँ
मुझसे ये मत पूछ कि मैं कितना तन्हा हूँ
तन्हाई भी साथ नहीं इतना तन्हा हूँ
पागल-ख़ाने में तो सब के सब पागल हैं
दानिशों में इक बस मैं ही दाना तन्हा हूँ
तन्हा था किससे तन्हाई ज़ाहिर करता
साथ कोई होता उससे कहता तन्हा हूँ
गर सच में तन्हा हूँ तो क्यों चिल्ला रहा हूँ
जो तन्हा होता है नहीं कहता तन्हा हूँ
पहले अकेला रहता था तो नहीं लगता था
सबके साथ रहा तो ऐसा लगा तन्हा हूँ
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