Top 25+

Wahshat Shayari

Here is a curated collection of Wahshat shayari in Hindi. You can download HD images of all the Wahshat shayari on this page. These Wahshat Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

ज़िक्र-ए-शब-ए-फ़िराक़ से वहशत उसे भी थी
मेरी तरह किसी से मोहब्बत उसे भी थी

मुझ को भी शौक़ था नए चेहरों की दीद का
रस्ता बदल के चलने की आदत उसे भी थी

इस रात देर तक वो रहा महव-ए-गुफ़्तुगू
मसरूफ़ मैं भी कम था फ़राग़त उसे भी थी

मुझ से बिछड़ के शहर में घुल-मिल गया वो शख़्स
हालाँकि शहर-भर से अदावत उसे भी थी

वो मुझ से बढ़ के ज़ब्त का आदी था जी गया
वर्ना हर एक साँस क़यामत उसे भी थी

सुनता था वो भी सब से पुरानी कहानियाँ
शायद रफ़ाक़तों की ज़रूरत उसे भी थी

तन्हा हुआ सफ़र में तो मुझ पे खुला ये भेद
साए से प्यार धूप से नफ़रत उसे भी थी

'मोहसिन' मैं उस से कह न सका यूँ भी हाल दिल
दरपेश एक ताज़ा मुसीबत उसे भी थी
Read Full
Mohsin Naqvi
मैं वहशत को फ़ुग़ानी लिख रहा हूँ
मुहब्बत तुझको फ़ानी लिख रहा हूँ,

हुआ बर्बाद जिस किरदार से मैं
उसी को ज़िंदगानी लिख रहा हूँ

सभी किरदार मरते जा रहे हैं
अनोखी इक कहानी लिख रहा हूँ

जुनूँ वहशत ने मुझ पर क्या किया है
ज्वाला को मैं पानी लिख रहा हूँ

यकीं कर आसमाँ झुक जायेगा ये
अपाहिज की ज़बानी लिख रहा हूँ

मआनी ज़िंदगी के क्या लिखूँ मैं
किराए पर मकानी लिख रहा हूँ

न हो ख़रगोश जैसा हाल अपना
सो कछुए की रवानी लिख रहा हूँ

कहानी मेरी है किरदार मेरा
मैं अपनी तर्जुमानी लिख रहा हूँ

उसे एहसास ना हों ग़म हमारे
मैं ग़म को शादमानी लिख रहा हूँ

मुहब्बत में बिछड़ना मरहला है
जुदाई जावेदानी लिख रहा हूँ

तुझी से ज़िस्म उजड़ा जान उजड़ी
तुझी को राजधानी लिख रहा हूँ

मुझे तहज़ीब में लिखना पड़ेगा
ग़ज़ल में ख़ानदानी लिख रहा हूँ
Read Full
Abhinav Baishander
न लुत्फ़-ए-दीद अब कोई तेरी तस्वीर-ओ-सूरत में
हुआ मैं बेअसर कुछ इस तरह तेरी नदामत में

ये याद-ए-रफ्तगां रंज-ओ-अलम और ये मलाल-ए-ग़म
हमारे साथ ही ये दफ़्न होगें अब तो तुर्बत में

सियह-बख़्ती ये काली रात और ये टूटती साँसें
कहीं मैं मर न जाऊँ ख़ौफ़ से इस तुंद वहशत में

ये तेरी गुल फ़िशानी क़ब्र पे और शोर ये तेरा
मुझे आराम से सोने नहीं देते हैं ख़ल्वत में

जिगर के ज़ख्म को हमने कहा है ज़ख़्म शेरों में
न किस्सागोई की हमने ग़मे दिल की वज़ाहत में

मैं हूँ सावन का अंधा सब्ज़ दिखता है मुझे हर सू
मुझे तुम माफ़ कर देना जो कर दूं भूल ग़फ़लत में

ये दिल शफ़्फ़ाफ़ था कितना फ़क़त मैं ही था जब मुझमे
मेरी हस्ती कहीं फिर खो गयी मेरी कसाफ़त में

उसे देखो उसे परखो अभी भी "हैफ़" है वो ही
जिसे तुम छोड़ आये थे कभी मरने की हालत में
Read Full
Aman Kumar Shaw "Haif"

LOAD MORE

How's your Mood?

Latest Blog