मैंने इतने पत्थर फेंके पानी में
जितने पत्थर खाए यार जवानी में
रो देता हूँ मैं अक्सर वीरानी में
मैं भी क्या कर जाता हूँ नादानी में
जब कुछ किरदारों पर मैंने ग़ौर किया
जाना सब झूठे हैं यार कहानी में
हमनें थोड़ा ज़ोर लगाया फिर क्या था
रिश्ता टूट गया था खींचा-तानी में
तुमने सीता का दुःख देखा हैरत है
राम भी तो मौजूद थे राम-कहानी में
'वीर' ज़माना आँखों की झीलों का है
कौन यहाँ पर डूब रहा है पानी में?
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