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Dushmani Shayari

Here is a curated collection of Dushmani shayari in Hindi. You can download HD images of all the Dushmani shayari on this page. These Dushmani Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता
कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता

कोई फ़ित्ना ता-क़यामत न फिर आश्कार होता
तिरे दिल पे काश ज़ालिम मुझे इख़्तियार होता

जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूटे वादे करता
तुम्हीं मुंसिफ़ी से कह दो तुम्हें ए'तिबार होता

ग़म-ए-इश्क़ में मज़ा था जो उसे समझ के खाते
ये वो ज़हर है कि आख़िर मय-ए-ख़ुश-गवार होता

ये मज़ा था दिल-लगी का कि बराबर आग लगती
न तुझे क़रार होता न मुझे क़रार होता

न मज़ा है दुश्मनी में न है लुत्फ़ दोस्ती में
कोई ग़ैर ग़ैर होता कोई यार यार होता

तिरे वादे पर सितमगर अभी और सब्र करते
अगर अपनी ज़िंदगी का हमें ए'तिबार होता

ये वो दर्द-ए-दिल नहीं है कि हो चारासाज़ कोई
अगर एक बार मिटता तो हज़ार बार होता

गए होश तेरे ज़ाहिद जो वो चश्म-ए-मस्त देखी
मुझे क्या उलट न देते जो न बादा-ख़्वार होता

मुझे मानते सब ऐसा कि अदू भी सज्दे करते
दर-ए-यार काबा बनता जो मिरा मज़ार होता

तुम्हें नाज़ हो न क्यूँकर कि लिया है 'दाग़' का दिल
ये रक़म न हाथ लगती न ये इफ़्तिख़ार होता
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Dagh Dehlvi
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ

हम ख़ुल्द से निकल तो गए हैं पर ऐ ख़ुदा
इतने से वाक़िए का फ़साना बहुत हुआ

अब हम हैं और सारे ज़माने की दुश्मनी
उस से ज़रा सा रब्त बढ़ाना बहुत हुआ

अब क्यूंन ज़िंदगी पे मोहब्बत को वार दें
इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ

अब तक तो दिल का दिल से तआरुफ़ न हो सका
माना कि उस से मिलना मिलाना बहुत हुआ

क्या क्या न हम ख़राब हुए हैं मगर ये दिल
ऐ याद-ए-यार तेरा ठिकाना बहुत हुआ

कहता था नासेहों से मिरे मुंह न आइयो
फिर क्या था एक हू का बहाना बहुत हुआ

लो फिर तिरे लबों पे उसी बेवफ़ा का ज़िक्र
अहमद-'फ़राज़' तुझ से कहा न बहुत हुआ
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Ahmad Faraz
रात दिन चैन हम ऐ रश्क-ए-क़मर रखते हैं 
शाम अवध की तो बनारस की सहर रखते हैं 

भाँप ही लेंगे इशारा सर-ए-महफ़िल जो किया 
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं 

ढूँढ लेता मैं अगर और किसी जा होते 
क्या कहूँ आप दिल-ए-ग़ैर में घर रखते हैं 

अश्क क़ाबू में नहीं राज़ छुपाऊँ क्यूँकर 
दुश्मनी मुझ से मिरे दीदा-ए-तर रखते हैं 

कैसे बे-रहम हैं सय्याद इलाही तौबा 
मौसम-ए-गुल में मुझे काट के पर रखते हैं 

कौन हैं हम से सिवा नाज़ उठाने वाले 
सामने आएँ जो दिल और जिगर रखते हैं 

दिल तो क्या चीज़ है पत्थर हो तो पानी हो जाए 
मेरे नाले अभी इतना तो असर रखते हैं 

चार दिन के लिए दुनिया में लड़ाई कैसी 
वो भी क्या लोग हैं आपस में शरर रखते हैं 

हाल-ए-दिल यार को महफ़िल में सुनाऊँ क्यूँ कर 
मुद्दई कान उधर और इधर रखते हैं 

जल्वा-ए-यार किसी को नज़र आता कब है 
देखते हैं वही उस को जो नज़र रखते हैं 

आशिक़ों पर है दिखाने को इताब ऐ 'जौहर' 
दिल में महबूब इनायत की नज़र रखते हैं 

अश्क क़ाबू में नहीं राज़ छुपाऊँ क्यूँकर 
दुश्मनी मुझ से मिरे दीदा-ए-तर रखते हैं 

कैसे बे-रहम हैं सय्याद इलाही तौबा 
मौसम-ए-गुल में मुझे काट के पर रखते हैं 

कौन हैं हम से सिवा नाज़ उठाने वाले 
सामने आएँ जो दिल और जिगर रखते हैं

 दिल तो क्या चीज़ है पत्थर हो तो पानी हो जाए 
मेरे नाले अभी इतना तो असर रखते हैं 

चार दिन के लिए दुनिया में लड़ाई कैसी 
वो भी क्या लोग हैं आपस में शरर रखते हैं 

हाल-ए-दिल यार को महफ़िल में सुनाऊँ क्यूँ कर 
मुद्दई कान उधर और इधर रखते हैं

 जल्वा-ए-यार किसी को नज़र आता कब है 
देखते हैं वही उस को जो नज़र रखते हैं 

आशिक़ों पर है दिखाने को इताब ऐ 'जौहर' 
दिल में महबूब इनायत की नज़र रखते हैं 
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Lala Madhav Ram Jauhar

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