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Judai Shayari

Here is a curated collection of Judai shayari in Hindi. You can download HD images of all the Judai shayari on this page. These Judai Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

ये ग़म क्या दिल की आदत है? नहीं तो
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो

है वो इक ख़्वाब-ए-बे ताबीर इसको
भुला देने की नीयत है? नहीं तो

किसी के बिन, किसी की याद के बिन
जिये जाने की हिम्मत है? नहीं तो

किसी सूरत भी दिल लगता नहीं? हां
तो कुछ दिन से ये हालात है? नहीं तो

तुझे जिसने कही का भी नहीं रखा
वो एक जाति सी वहशत है? नहीं तो

तेरे इस हाल पर है सब को हैरत
तुझे भी इस पे हैरत है? नहीं तो

हम-आहंगी नहीं दुनिया से तेरी
तुझे इस पर नदामत है? नहीं तो

वो दरवेशी जो तज कर आ गया.....तू
यह दौलत उस की क़ीमत है? नहीं तो

हुआ जो कुछ यही मक़सूम था क्या?
यही सारी हिकायत है? नहीं तो

अज़ीयत-नाक उम्मीदों से तुझको
अमन पाने की हसरत है? नहीं तो

तू रहता है ख्याल-ओ-ख्वाब में गम
तो इस वजह से फुरसत है? नहीं तो

वहां वालों से है इतनी मोहब्बत
यहां वालों से नफरत है? नहीं तो

सबब जो इस जुदाई का बना है
वो मुझसे खुबसूरत है? नहीं तो
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Jaun Elia
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उस से मुहब्बत

झीलें क्या हैं?
उसकी आँखें

उम्दा क्या है?
उसका चेहरा

ख़ुश्बू क्या है?
उसकी साँसें

खुशियाँ क्या हैं?
उसका होना

तो ग़म क्या है?
उससे जुदाई

सावन क्या है?
उसका रोना

सर्दी क्या है?
उसकी उदासी

गर्मी क्या है?
उसका ग़ुस्सा

और बहारें?
उसका हँसना

मीठा क्या है?
उसकी बातें

कड़वा क्या है?
मेरी बातें

क्या पढ़ना है?
उसका लिक्खा

क्या सुनना है?
उसकी ग़ज़लें

लब की ख़्वाहिश?
उसका माथा

ज़ख़्म की ख़्वाहिश?
उसका छूना

दुनिया क्या है?
इक जंगल है

और तुम क्या हो?
पेड़ समझ लो

और वो क्या है?
इक राही है

क्या सोचा है?
उस से मुहब्बत

क्या करते हो?
उस से मुहब्बत

मतलब पेशा?
उस से मुहब्बत

इस के अलावा?
उस से मुहब्बत

उससे मुहब्बत........
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Varun Anand
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वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी
कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी

न अपना रंज न औरों का दुख न तेरा मलाल
शब-ए-फ़िराक़ कभी हम ने यूँ गँवाई न थी

मोहब्बतों का सफ़र इस तरह भी गुज़रा था
शिकस्ता-दिल थे मुसाफ़िर शिकस्ता-पाई न थी

अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत
बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी

बिछड़ते वक़्त उन आँखों में थी हमारी ग़ज़ल
ग़ज़ल भी वो जो किसी को अभी सुनाई न थी

किसे पुकार रहा था वो डूबता हुआ दिन
सदा तो आई थी लेकिन कोई दुहाई न थी

कभी ये हाल कि दोनों में यक-दिली थी बहुत
कभी ये मरहला जैसे कि आश्नाई न थी

अजीब होती है राह-ए-सुख़न भी देख 'नसीर'
वहाँ भी आ गए आख़िर, जहाँ रसाई न थी
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Naseer Turabi

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