हमदर्द बनना है, मोहब्बत की इबादत करना सीख
गर मर्द बनना है तुझे, औरत की इज़्ज़त करना सीख
ऐसे गुलामी कर के तू आगे नहीं बढ़ पाएगा
गर सल्तनत ज़िद है तेरी तो फिर बग़ावत करना सीख
कब कौन अपना ले यहाँ, कब कौन तुझको छोड़ दे
गर ज़िंदा रहना है तो रिश्तों में सियासत करना सीख
जो इश्क़ है वो अक़्ल का दुश्मन है इतना याद रख
गर इश्क़ करना है तुझे, थोड़ी हिमाकत करना सीख
इस शायरी से तो तेरा घर बार चलना है नहीं
तो घर चलाने के लिए बेटे, तिजारत करना सीख
Read Full