सफेद ज़ुल्फ़ों की ठंडी तसल्लियों के साथ - ALI ZUHRI

सफेद ज़ुल्फ़ों की ठंडी तसल्लियों के साथ
बिता रही हूँ मैं जीवन उदासियों के साथ

मेरे सनम तू जहाँ छोड़ कर गया था मुझे
वहीं खड़ी हूँ मैं सतरंगी चूड़ियों के साथ

तमाम रात तेरे इंतिज़ार में जोगन
जला रही है जिगर मोमबत्तियों के साथ

पलट के आते नहीं दूर देश के महबूब
यही हुआ था मेरी कुछ सहेलियों के साथ

तुझे ख़बर नहीं है फ़ासले बनाने से
लगाव और भी बढ़ता है दूरियों के साथ

- ALI ZUHRI
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