तेरी ख़ूबी के आगे दुनिया में कुछ भी ख़ूब नहीं - Vikas Shah musafir

तेरी ख़ूबी के आगे दुनिया में कुछ भी ख़ूब नहीं
यानी दुनिया में तुझसा दूजा कोई महबूब नहीं

इश्क़ समंदर में मरना है मर जा लेकिन याद रहे
डूबना ठहरे पानी में बहते पानी में डूब नहीं

गर झगड़ा हो जाए तो उसका उस्लूब बदल जाता
उसका झगड़ा अच्छा लगता है लेकिन उस्लूब नहीं

इश्क़ में शोख़ी-ए-तबअ तभी तो अच्छा लगता है जानाँ
लड़ कर ग़ुस्सा जाऊँ तुझसे तू इतनी मातूब नहीं

जो भी आता है इस दुनिया में दर दर ठोकर खाता है
तेरी बनाई इस दुनिया का मैं पहला मज़रूब नहीं

- Vikas Shah musafir
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