तुम्हारे ख़्वाब पलकों पर सजाने वाले कितने हैं

  - Dr. Rahul Awasthi

तुम्हारे ख़्वाब पलकों पर सजाने वाले कितने हैं
तुम्हारे नाज़ हँस करके उठाने वाले कितने हैं

तुम्हारी बात भी अपनी जगह पर ठीक है लेकिन
सभी हैं चाहने वाले, निभाने वाले कितने हैं

अभी तो घर बसाने के लिये सौ लोग राज़ी हैं
हमेशा के लिये दिल में बसाने वाले कितने हैं

कई ने ताजमहलों को बनाने की कही होगी
मगर अपनी तरह अपना बनाने वाले कितने हैं

ज़माना है, तुम्हें ये मामले मालूम भी होंगे
लगाने वाले कितने हैं, बुझाने वाले कितने हैं

तुम्हारे सामने मुँहदेखियाँ हैं तो ग़लत क्या है
यही सच है कि सच को सच बताने वाले कितने हैं

तुम्हारे नाम पर चित हैं, तुम्हारे नाम पर पट हैं
तुम्हारे नाम से सिक्का चलाने वाले कितने हैं

ढुलकते आँसुओं को पोछने वालों की छोड़ो भी
तुम्हारे दर्द में आँसू बहाने वाले कितने हैं

तुम्हारी आस में जीते हैं, मरते हैं - ये लगता है
मगर ये देख लेना काम-आने वाले कितने हैं

  - Dr. Rahul Awasthi

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