इस से पहले हों मसअले तुझ को
दूॅं गुलाब अपना दिन-ढले तुझ को
कर दूॅं इज़हार सोचता हूॅं अब
इश्क़ हो या न हो भले तुझ को
जान-ए-जानाॅं ज़बाॅं हुई मीठी
जब भी पाया है लब-तले तुझ को
आँखें नम और हाथ में टेड्डी
यूॅं सताए न फ़ासले तुझ को
ऐसे वादे से बच के रहना जो
चाॅंद तारों पे ले चले तुझ को
रूठने पर मिरे तू चलता बना
लगना था यार तब गले तुझ को
कितने बंजर हैं लब मिरे तुझ बिन
रख तू बोसा पता चले तुझ को
चाहना मत उसे तू इतना 'जून'
छोड़ जाएगी बावले तुझ को
As you were reading Shayari by Joon Sahab 'Joon'
our suggestion based on Joon Sahab 'Joon'
As you were reading undefined Shayari