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Ilm Shayari

Here is a curated collection of Ilm shayari in Hindi. You can download HD images of all the Ilm shayari on this page. These Ilm Shayari images can also be used as Instagram posts and whatsapp statuses. Start reading now and enjoy.

जब बच्चों को इल्म पढ़ाया जा सकता है
फिर तो उनको प्यार सिखाया जा सकता है

इश्क़ इबादत है इतनी सी बात सिखा कर
हर पागल दिल को बहलाया जा सकता है

दिल की सरहद तोड़ तेरी बाहों में आकर
हम रो देते लेकिन सुस्ताया जा सकता है

क़ुदरत के साए की रहमत भूल चुके हैं
ये हालत है सर से साया जा सकता है

दो रोटी की भूख है मुझको उतना खा लूँ
अब लगता है मुल्क बचाया जा सकता है

दिल में आने का रास्ता तो सीधा ही है
गर इन बाँहों को फैलाया जा सकता है

छोड़ हमी को सबसे दिल का हाल कहो मत
हमको दिल का हाल सुनाया जा सकता है

घरवाले जब तुमको सब समझा सकते है
घर वालों को भी समझाया जा सकता है

इश्क़ अजल है जिसने जाना उनसे पूछो
मरने तक तो जिस्म सजाया जा सकता है

काफ़िर को काफ़िर कहने में हुज्जत कैसी
मौला को काफ़िर ठहराया जा सकता था

मुश्किल वक़्त ने सिखलाए हैं ख़ूब सबक भी
दो रोटी से काम चलाया जा सकता है

पत्थर फेंको, पत्थर पूजो, पत्थर गढ़ लो
पत्थर को हर काम में लाया जा सकता है

इनको समझाने की ख़ातिर आ मत जाना
ईसा तुझको फिर लटकाया जा सकता है

बच्चे बूढ़े रोज झगड़ते हैं दुनिया में
बच्चों का झगड़ा सुलझाया जा सकता है

हमने रांझे से माझी तक सीखा ये है
दीवानों को काम बताया जा सकता है

क़ुदरत के बरसों का हासिल है ये इंसा
और ख़ुदा तो रोज़ बनाया जा सकता है

किसको कितना याद रखोगे तय करना है
किसका कितना ग़म दोहराया जा सकता है

अब मैं इतना सोच रहा हूँ पागल ही हूँ!
पागल से दीवान लिखाया जा सकता है

मेरे दिल पे हाथ रखा फिर पूछा उसने
इसका कितना दाम लगाया जा सकता है

आफ़त है कि मुझको सबका हश्र पता है
ख़ैर जलाया या दफनाया जा सकता है

मज़हब के वादे झूठे भी हो सकते हैं
मज़हब का ईमान गिराया जा सकता है

कद घर के बच्चों का जब बढ़ने लग जाए
दीवारों को और उठाया जा सकता है

पहले सोचो पेड़ बचाएंगे हम कैसे
तब मुमकिन है शहर बचाया जा सकता है

हम दिल पर दस्तक दे ऐसे जाहिल नहीं है
दिल को तो चुपचाप चुराया जा सकता है

मंदिर ओ मस्जिद पर दस्तक देने वाले
मौला को तो ख़ुद में पाया जा सकता है

सच की सूरत सादी होकर भी अच्छी है
झूठ को तो कुछ भी पहनाया जा सकता है

यार ख़ुशी गर खुद ढूँढोगे तो पाओगे
ग़म को तो सबसे दिलवाया जा सकता है

मंदिर ओ मस्जिद की क़ैद बुरी है वाइज़
मौला को ये सच बतलाया जा सकता है

वो महफ़िल में फिर बुलवा सकता है तुझको
महफ़िल से जाना भी ज़ाया जा सकता है
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Gagan Bajad 'Aafat'
दुनिया तेरे फ़रेब मे आया नहीं हूँ मैं
यानी तेरी कमान का नेज़ा नहीं हूँ मैं

हालांकि ये बदन मेरा मिट्टी ही है मगर
बिन पाँच रुक्न के कोई खाक़ा नहीं हूँ मैं

धोखे की भट्टियों में जलाया गया मैं पर
मिट्टी के बर्तनों सा तो कच्चा नहीं हूँँ मैं

मैं इश्क़ में तेरे तो गिरफ़्तार हूँ मगर
हासिल हुए गुलाम के जैसा नहीं हूँ मैं

मैं एक शाह हूँ जो अपाहिज है दोस्तों
फिर भी बड़ों की बात को सुनता नहीं हूँ मैं

मुझको मेरे फ़रीज़े का तू इल्म मत सिखा
इस ज़ीस्त की बिसात में प्यादा नहीं हूँ मैं

मैं रूह हूँ मेरा तो ठिकाना है आसमाँ
इस जिस्म के सराय सा धोखा नहीं हूँ मैं

हर रोज़ ये जहाँ मुझे दुत्कारता है क्यों
जन्नत से भाग करके तो आया नहीं हूँ मैं
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Himanshu Kuniyal
बस रूह सच है बाक़ी कहानी फ़रेब है
जो कुछ भी है ज़मीनी ज़मानी फ़रेब है

रंग अपने अपने वक़्त पे खुलते हैं आँख पर
अव्वल फ़रेब है कोई सानी फ़रेब है

सौदागरान-ए-शोलगी-ए-शर के दोश पर
मुश्कीज़-गाँ से झाँकता पानी फ़रेब है

इस घूमती ज़मीं पे दोबारा मिलेंगे हम
हिजरत फ़रार नक़्ल-ए-मकानी फ़रेब है

दरिया की अस्ल तैरती लाशों से पोछिए
ठहराव एक चाल रवानी फ़रेब है

अब शाम हो गई है तो सूरज को रोइए
हम ने कहा न था कि जवानी फ़रेब है

बार-ए-दिगर समय से किसी का गुज़र नहीं
आइंदगाँ के हक़ में निशानी फ़रेब है

इल्म इक हिजाब और हवास आइने का ज़ंग
निस्यान हक़ है याद-दहानी फ़रेब है

तज्सीम कर कि ख़्वाब की दुनिया है जावेदाँ
तस्लीम कर कि आलम-ए-फ़ानी फ़रेब है

'शाहिद' दारोग़-गोई-ए-गुलज़ार पर न जा
तितली से पूछ रंग-फ़िशानी फ़रेब है
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Shahid Zaqi

How's your Mood?

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