दोनों तरफ़ से रब्त के पहलू निकाल कर
वो ले गया है आँख से आँसू निकाल कर
इनके सहारे कुछ नई सी धुन बनाऊंगा
लाया हूँ उसके पांव से घुंघरू निकाल कर
इक दिन किसी ने ले लिया कॉलेज में उसका नाम
गर्दन पे मैंने रख दिया चाक़ू निकाल कर
वो हुस्न भी लगे है मुझे तब से आम सा
जब से गया वो इश्क़ का जादू निकाल कर
झपकी थी मैंने आँख भी जिसके यक़ीन पर
वो जा चुका है नींद में बाज़ू निकाल कर
मुझको बदन नसीब था पर रूह के बग़ैर
उसने दिया भी फूल तो खुशबू निकाल कर
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