दूरी है मंज़ूर उसको - Farzan khan

दूरी है मंज़ूर उसको
कर दे फिर अब दूर उसको

ख़ुद को ही बदनाम करके
क्यों किया मशहूर उसको

इस अना ने अपनी ख़ातिर
कर दिया महजूर उसको

टूटे दिल मालूम तो हो
दुनिया का दस्तूर उसको

अब जुदा मग़मूम है क्यों
होना था मसरूर उसको

छीन लो बीनाई मेरी
करना है बे-नूर उसको

शिर्क में था वो ख़ुदाया
करता क्यों मग़्फ़ूर उसको

"ज़ान" फिर भी पिघले ये दिल
देखे जब मजबूर उसको

- Farzan khan
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