ये भी हो सकता है के हमसे कुछ अच्छा न बने
हाँ मग़र यूँ भी नहीं कि तेरे जैसा न बने
मैं वो मिट्टी नहीं जो ख़ाक में मिल जाती है
मेरा दोबारा बनाएं भी तो क्या - क्या न बने
दुःख भी ऐसा हो कि हैरान रहे ये दुनिया
देने वाले से किसी हाल दिलासा न बने
As you were reading Shayari by Ritesh Rajwada
our suggestion based on Ritesh Rajwada
As you were reading undefined Shayari