अभी से आँख मत मूँदो, नज़ारा और भी होगा
हमारा आपका मिलना मिलाना और भी होगा
सुना है हाल सुनकर आशिक़ों का रो पड़े हैं वो
सुनो ये आँख जलना था, मचलना और भी होगा
अभी से चल दिए उठ के, ज़रा सी बात क्या निकली
अभी तो आग लगनी है, तमाशा और भी होगा
बड़े ख़ामोश बैठे हैं तेरे आशिक़ यहाँ कैसे
ज़रा थे अधजले, तूने जलाया और भी होगा
तुम्हें तो 'आब' रस्ते पे अभी तो ख़ूब चलना है
अभी तो धूप निकलेगी, सवेरा और भी होगा
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