एक ही बात का हमें डर है
साँप के भेस में वो अजगर है
जाने कब अक्ल आएगी उसको
आदमी है प यार कमतर है
इश्क़ में तुमको डूबना होगा
इश्क़ दरिया नहीं समंदर है
चीज़ वो ही पसंद आएगी
अपनी औकात से जो बाहर है
तूने चाहा, वो मिल गया तुझको
यार कितना हसीं मुक़द्दर है
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