लाश मेरी जल रही है
साँस लेकिन चल रही है
ग़मज़दा हूँ इसलिए मैं
ज़िन्दगी दलदल रही है
चाँदनी की गुफ़्तुगू भी
ख़ुशनुमा हर पल रही है
ग़म मुसलसल आ रहे हैं
जो ख़ुशी थी टल रही है
दौर जैसा भी रहा हो
ज़िन्दगी चंचल रही है
इसलिए रौशन हैं आँखें
माँ मेरा काजल रही है
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