मेरी आँखों से हो ओझल रहा है,
तेरा किरदार हो धूमल रहा है,
भला जिसका तू केवल चाहता है,
वहीं इंसान तुझको छल रहा है,
निरंतर बातें दोनों कर रहे हैं,
इधर झगड़ा हमारा चल रहा है,
युगों से राम पूजे जा रहे हैं,
युगों से सिर्फ़ रावण जल रहा है,
समस्या को करो स्वीकार ढूँढो
उसी के संग उसका हल रहा है
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