मोहब्बत तो ख़ुदा का इक तराना है
इसे ता-उम्र सब ने गुन गुनाना है
तेरे हर ग़म से रिश्ता जोड़ा है मैं ने
मुझे तो तेरे हर ग़म को निभाना है
जुदा हो के मैं फिर भी तुम को पाता हूँ
जुदाई को भी सीने से लगाना है
तमन्ना है नहीं जब तुम सफ़र में हो
तेरे दिल तक ही बस मेरा ठिकाना है
कभी जो देख लूँ बादल में मैं तुम को
क़मर बादल में मेरा आशियाना है
Read Full