तिरी गलियाँ तिरे कस्बे को आए हैं
इक अरसे बाद इस रस्ते को आए हैं
जो धुँदली हो गयीं हैं ज़र्द के मारे
उन्हीं यादों से हम मिलने को आए हैं
पुराने फूल तो मुरझा गए लेकिन
नए कुछ फूल हैं खिलने को आए हैं
हमें तुम प्रेम का दीपक समझती थी
तुम्हारी शादी में जलने को आए हैं
तुम्हारे बाद में कैसे बसर होगी
यही मालूम हम करने को आए हैं
उठाई जा रही होगी तिरी डोली
वो मंज़र ध्यान से तकने को आए हैं
तुम्हारी जीत पर देने बधाई और
हम अपनी हार पर हँसने को आए हैं
कोई पूछे तुम्हारा क्या इरादा है
कहें हँसके यहाँ मरने को आए हैं
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