अभी ख़ामोश है ग़ुस्सा हमारा
अभी देखा नहीं जज़्बा हमारा
कभी टूटी हुई तलवार समझो
अभी आया नहीं मौक़ा हमारा
सिफ़ारिश चल रही है ज़िन्दगी से
न जाने कब खुले रस्ता हमारा
बुलाने की कभी कोशिश तो करते
पिघल जाता तभी शीशा हमारा
मोहब्बत से नहीं कोई लड़ाई
मगर नफ़रत से है झगड़ा हमारा
नहीं खाई कभी रिश्वत किसी की
तभी तो रंग है फीका हमारा
उदासी फेंक दी कमरे से बाहर
कहीं हो जाए फिर चर्चा हमारा
निकलते जा रहे साँसों के धागे
बहुत ही कम बचा जीना हमारा
मोहब्बत करना सीखेंगे मेरे शाज़
यहाँ चलता नहीं सिक्का हमारा
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