मैं बुरा हूँ और हूँ मजबूऱ आदत के लिए
दूर रहिये आप भी अपनी शराफत के लिए
है अगर मुझसे गिला तो आज़मा के देख ले
तू कहे तो जान हाज़िर है मुहब्बत के लिए
तेरे आगे ख़ूबसूरत चाँद भी फीका पड़े
और क्या तारीफ़ तेरी यार सूरत के लिए
आदतों से यार ग़र तासीर मिलती है यहाँ
ख़ुद को भी बर्बाद कर लूँ मैं भी आदत के लिए
मर के ही तो आदमी बनता बड़ा है आज , सो
हम भी देखो मर रहे हैं थोड़ी इज्जत के लिए
बे-वफ़ा हैं, आप फ़िर भी दिल लगाया आपसे
मिल रही है इसलिए भी दाद हिम्मत के लिए
घर में कुछ भी बोल कर चल जाएगा तो काम पर
भीड़ में क्या बोलना है सीख गैरत के लिए
ये शिकायत मुझको है क्यूँ दोहरापन है यहाँ
इस जहाँ में क़ायदे क्यूँ सिर्फ़ औरत के लिए
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