मैं बुरा हूँ और हूँ मजबूऱ आदत के लिए - Prashant Sitapuri

मैं बुरा हूँ और हूँ मजबूऱ आदत के लिए
दूर रहिये आप भी अपनी शराफत के लिए

है अगर मुझसे गिला तो आज़मा के देख ले
तू कहे तो जान हाज़िर है मुहब्बत के लिए

तेरे आगे ख़ूबसूरत चाँद भी फीका पड़े
और क्या तारीफ़ तेरी यार सूरत के लिए

आदतों से यार ग़र तासीर मिलती है यहाँ
ख़ुद को भी बर्बाद कर लूँ मैं भी आदत के लिए

मर के ही तो आदमी बनता बड़ा है आज , सो
हम भी देखो मर रहे हैं थोड़ी इज्जत के लिए

बे-वफ़ा हैं, आप फ़िर भी दिल लगाया आपसे
मिल रही है इसलिए भी दाद हिम्मत के लिए

घर में कुछ भी बोल कर चल जाएगा तो काम पर
भीड़ में क्या बोलना है सीख गैरत के लिए

ये शिकायत मुझको है क्यूँ दोहरापन है यहाँ
इस जहाँ में क़ायदे क्यूँ सिर्फ़ औरत के लिए

- Prashant Sitapuri
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