गुमानी क्या यही इंसान का ईमान कहता है - Vikas Shah musafir

गुमानी क्या यही इंसान का ईमान कहता है
अगर हो फ़ाएदा तो झूठ भी इंसान कहता है

मेरे मुँह पे मेरे जैसी तेरे मुँह पे तेरे जैसी
यही आकर हमेशा मुझसे ये गैहान कहता है

यहाँ क्यों अब अक़ीदे पे लड़ाई होती है बोलो
बनाने वाला कोई इक है ये क़ुरआन कहता है

अगर अपनी चलाओगे तो फिर तो मारे जाओगे
यहाँ रहना है तो मानो वो जो इम्कान कहता है

ये दुनिया क्यों बनाई क्यों बनाया मैने ये इंसान
अकेले में दुखी मन से यही भगवान कहता है

- Vikas Shah musafir
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