जो ज़माना कह रहा है ,क्या वो सच है, ये बताओ - Vikas Shah musafir

जो ज़माना कह रहा है ,क्या वो सच है, ये बताओ
मुझसे पहले भी कोई था आपका , पहले बताओ

आप से कोई ज़बरदस्ती नहीं है मेरी ,साहब
आपको जैसे समझ आये मुझे वैसे बताओ

आप आओ खेल तो होगा मगर अब खुल के होगा
आप मेरे साथ खेलो, कितने हैं इक्के बताओ

उसने पूछा और क्या क्या छोड़ दोगे मेरे ख़ातिर
फिर मैं बोला क्या बचा है पास और मेरे बताओ

इश्क़ ज़ाहिर तो नहीं कर सकते हो पर वो तुम्हारे
सामने आ-जाए तब तो कह सकोगे ये बताओ

उसका नम्बर भी था लेकिन कॉल नइँ कर सकते थे हम
तोड़ डाला फ़ोन हमने और क्या करते बताओ

उतरा चेहरा इतनी ख़ामोशी तुम्हें क्या हो गया है
किस सफ़र पे चल पड़े हो अब 'मुसाफ़िर', ये बताओ

- Vikas Shah musafir
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