ये वाक़िया मेरे लिए बेहद अजीब था
हर शख़्स दूर हो गया जो जो क़रीब था
इलज़ाम दूँ किसे मैं हमारी जुदाई का
वो बेवफ़ा नहीं था मगर मैं ग़रीब था
उसको भी इश्क़ था प किसी और लड़के से
जो दोस्त था मेरा वही मेरा रक़ीब था
मैं बद-नसीब तेरे गले भी न लग सका
जो सोया तेरी बाँहों में वो ख़ुश-नसीब था
दौलत के मामले में वो राजा से कम नहीं
दिल से मगर वो आदमी बेहद ग़रीब था
उसने मेरे घमंड को फिर चूर कर दिया
मुझको ये लगता था कि फ़क़त मैं अरीब था
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