तुम्हारे सामने जब ज़िक्र आएगा हमारा

  - Nityanand Vajpayee

तुम्हारे सामने जब ज़िक्र आएगा हमारा
हर इक एहसान दिल में घूम जाएगा हमारा

नहीं ईमान है उसमें बहुत जलता है सबसे
पलट कर दिल ही बेशक़ वो दुखाएगा हमारा

वो इतना धीमा चलता ज्यों कि पंखा ट्रेन का हो
पसीना इस-क़दर कैसे सुखाएगा हमारा

लड़ाई रह गई है अब फ़क़त फोटो-दिखावा
तुम्हें भी फ़ेसबुक इंस्टा लुभाएगा हमारा

हक़ीक़त से बहुत दूरी बना ली है जहाॅं ने
तुम्हें फिर कैसे सच कड़वा सुहाएगा हमारा

  - Nityanand Vajpayee

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