तुम्हारे सामने जब ज़िक्र आएगा हमारा
हर इक एहसान दिल में घूम जाएगा हमारा
नहीं ईमान है उसमें बहुत जलता है सबसे
पलट कर दिल ही बेशक़ वो दुखाएगा हमारा
वो इतना धीमा चलता ज्यों कि पंखा ट्रेन का हो
पसीना इस-क़दर कैसे सुखाएगा हमारा
लड़ाई रह गई है अब फ़क़त फोटो-दिखावा
तुम्हें भी फ़ेसबुक इंस्टा लुभाएगा हमारा
हक़ीक़त से बहुत दूरी बना ली है जहाॅं ने
तुम्हें फिर कैसे सच कड़वा सुहाएगा हमारा
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