ऐसी हालत है मेरे दिल की तेरे जाने पर - Rachit Sonkar

ऐसी हालत है मेरे दिल की तेरे जाने पर
जैसे गुलशन का समाँ फूलों के मुरझाने पर

हिज्र की धूप मुझे ख़ूब जलाती है मगर
वस्ल का चाँद निकलता है तेरे आने पर

यूँ न बिखरा तू हवाओं में ये गेसू अपने
दिल मचलता है तेरी ज़ुल्फ़ों के बल खाने पर

मौत भी कर नहीं सकती है जुदा दोनों को
रूह मरती नहीं इंसान के मर जाने पर

मुझको मयख़ाने की जानिब न धकेलो यारों
मैं बिखरता ही चला जाता हूँ बिखराने पर

अच्छे अच्छों को बिखरते हुए देखा हमने
राह-ए-उल्फ़त में 'रचित' हिज्र के आ जाने पर

- Rachit Sonkar
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