"शहीद-ए-आज़म भगतसिंह"
आँखों में वो आँसू नहीं
कुछ ख़्वाब सँजोया करता था
वतन की आज़ादी के ख़ातिर
खूनी आँसू रोया करता था
आज़ादी का दीवाना था वह
रगों में उबाल खानदानी था
जिसने सबकुछ लुटा दिया अपना
वो वीर भगत बलिदानी था
अंगारों पर चलकर जिसने
एक नई राह बनाई थी
उस मतवाले शेर ने क़सम
आज़ादी की खाई थी
चाहे उम्र कम रही हो लेकिन
वह एक लंबी कहानी था
जिसने सबकुछ लुटा दिया अपना
वो वीर भगत बलिदानी था
जिसके दिल में सिर्फ़ और सिर्फ़
इन्कलाब की आग थी
आँखों में थी जलती ज्वाला
लिबास जिसका त्याग थी
हर दिल में निशाँ छोड़ गया वो
भारत माँ की निशानी था
जिसने सबकुछ लुटा दिया अपना
वो वीर भगत बलिदानी था
जब तक धरती-अम्बर होंगें
मिट न सकेगा नाम तुम्हारा
भारत का हर बच्चा-बच्चा
याद रखेगा काम तुम्हारा
समंदर से भी गहरा था जो
ख़ुद में ही एक रवानी था
जिसने सबकुछ लुटा दिया अपना
वो वीर भगत बलिदानी था
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