क्या कभी लौट के भी आएगा जाने वाले
तुझको कुछ ज़ख़्म दिखाने थे दिखाने वाले
मुझसे बीनाई मिरी छीन ली उन लोगों ने
जो मिरी आँख में थे ख़्वाब सजाने वाले
आग जिसने भी बुझाई वो खड़े हैं पीछे
सबसे आगे खड़े रहते हैं लगाने वाले
हमको कोई भी तसल्ली नहीं देता आकर
बस तरस खाते हैं हम पर ये ज़माने वाले
इस तरह ख़ैर रहे जाने से जन्नत हम लोग
मुझको बतला के गए लोग बताने वाले
ख़ुद ही नाराज़ हुए ख़ुद को मनाया हमने
अब नहीं लौट के आएँगे मनाने वाले
पहले अमृत ये पिलाएँगे तुम्हें आँखों से
बाद में ज़हर पिलाते हैं पिलाने वाले
ये जो फिरते हो लिए हाथ सभी हाथों में
हाथ ले जाएँगे ये हाथ मिलाने वाले
मुस्कुराए हुए मुद्दत हो गई इक हमको
कोई जुमला ही सुना दे तू हँसाने वाले
ये जो घंटों से यहाँ बैठा हुआ है तू सुन
इतनी भी देर नहीं रुकते हैं जाने वाले
आँखें इतनी न दिखा दरिया तू वो सागर है
उसने देखे हैं बहुत आँखें दिखाने वाले
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