थोड़ी-थोड़ी बदन में हरारत सही
तुम न मानो मगर ये हक़ीक़त सही
ये गुलाबी शबें ये जवानी के दिन
पेश आएगी तुमको ज़रूरत सही
वस्ल की रात और ये सुनहरा बदन
आशिक़ी में हुई है ये बरकत सही
सर्दी पड़ने लगी है बहुत ही ख़राब
रात आया न कर मेरी ज़ीनत सही
हम तुम्हारी जवानी के हक़दार हैं
हमको कर दो जवानी वसीयत सही
एक सच हम कहें गर बुरा नइँ लगे
तुमको अब है हमारी ज़रूरत सही
हम तुम्हारे लिए कुछ भी कर जाएँगे
लग गई है जवानी में आदत सही
अपनी आँखों में काजल लगाया करो
हमको तुमसे हुई है मुहब्बत सही
चाँदनी रात में फूल का ये बदन
है जवानी में ऐसी इबादत सही
तेरा चाल-ओ-चलन है सही जान-ए-जाँ
थोड़ी-थोड़ी बदन की करामत सही
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