sukh uska hai dukh uska hai to kahe ka rona hai | सुख उसका है दुख उसका है तो काहे का रोना है

  - SALIM RAZA REWA

sukh uska hai dukh uska hai to kahe ka rona hai
daulat uski shohrat uski kya paana kya khona hai

chaand-sitaare usse raushan phoolon mein usse khushboo
zarre-zarre mein vo shaamil vo chaandi vo sona hai

saari duniya ka vo maalik har shay uske qabze mein
uske aage sab kuchh feeka kya jaadu kya toona hai

god khuda bhagwaan kaho ya eeshwar allah use kaho
vo khaliq hai vo maalik hai uska kona-kona hai

khushiyon ke vo moti bhar de ya gham kii barsaat kare
vo maalik hai saare jag ka jo chahe so hona hai

ik rasta jo band kiya to das raste vo kholega
uspe bharosa rakh tu pyaare jo likkha vo hona hai

saanson pe uska hai pahra dhadkan hai uske dam se
jism raza hai mitti ka to kya rona kya dhona hai

सुख उसका है दुख उसका है तो काहे का रोना है
दौलत उसकी शोहरत उसकी क्या पाना क्या खोना है

चाँद-सितारे उससे रौशन फूलों में उससे ख़ुश्बू
ज़र्रे-ज़र्रे में वो शामिल वो चांदी वो सोना है

सारी दुनिया का वो मालिक हर शय उसके क़ब्ज़े में
उसके आगे सब कुछ फीका क्या जादू क्या टोना है

गॉड ख़ुदा भगवान कहो या ईश्वर अल्लाह उसे कहो
वो ख़ालिक है वो मालिक है उसका कोना-कोना है

ख़ुशियों के वो मोती भर दे या ग़म की बरसात करे
वो मालिक है सारे जग का जो चाहे सो होना है

इक रस्ता जो बंद किया तो दस रस्ते वो खोलेगा
उसपे भरोसा रख तू प्यारे जो लिक्खा वो होना है

साँसों पे उसका है पहरा धड़कन है उसके दम से
जिस्म रज़ा है मिट्टी का तो क्या रोना क्या धोना है

  - SALIM RAZA REWA

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