क्या करें हम फ़रवरी का अब हमारा है न कोई - Sandeep Singh Chouhan "Shafaq"

क्या करें हम फ़रवरी का अब हमारा है न कोई
इन गुलाबों का करें क्या अब हमारा है न कोई

ये नया क़िस्सा मोहब्बत का मुबारक हो तुम्हे ही
हमको रोना है पुराना अब हमारा है न कोई

इश्क़ क्या है ? क्या मुहब्बत ? कुछ नहीं, सब है दिखावा
इश्क़ से अच्छा है मरना अब हमारा है न कोई

सिर्फ़ कहने से हमारा, कौन होता है हमारा
क्या हमारा, क्या तुम्हारा, अब हमारा है न कोई

फूल ख़ुशबू इश्क़ बोसा आपको सब कुछ दिया है
हमको पत्थर से नवाज़ा अब हमारा है न कोई

चाँद के मानिंद था महबूब दुनिया में हमारा
अब तो मुश्किल है गुज़ारा अब हमारा है न कोई

कौन है, किसका ख़ुदा है? कुछ नहीं बक्शा हमें तो
क्यों करें हम उसका सज्दा? अब हमारा है न कोई

और कोई ख़्वाहिश नहीं हमको 'शफ़क़' अब ज़िंदगी से
कर लिया जाँ का ख़सारा अब हमारा है न कोई

- Sandeep Singh Chouhan "Shafaq"
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