मोहब्बत में हर चीज़ बिखरी गयी - karan singh rajput

मोहब्बत में हर चीज़ बिखरी गयी
मेरी शौक़ की ज़िन्दगी भी गयी

कि दिल टूटा गर तो भी रोना नही
मुहब्बत में ये शर्त रक्खी गयी

मैं ने हर दुआ में तुझे मांगा बस
मेरी हर दुआ यूँहीं खाली गयी

हुए रुसवा उसके शहर से जो हम
तो फिर गांव की ट्रैन पकड़ी गयी

कि तुझसे बिछड़के भी क्या करते , सो
तेरी याद में ग़ज़ले लिक्खी गयी

वो कॉलेज कैंपस में बैठी हुई
बहुत देर इक लड़की देखी गयी

उसे  सोच  कर  मैं  परेशाँ  रहा
मुझे देखकर कल जो हँसती गयी

तेरा कुछ भरोशा ही ऐसा था , जो
तेरे बाद हर लड़की परखी गयी

- karan singh rajput
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