अगर वो मेरे साथ घर से निकलती
तमन्ना मचलते मचलते मचलती
कभी बारिशों में उसे थाम लेता
अगर वो फिसलते फिसलते फिसलती
वो शरमा के जब मुझसे नज़रें मिलाती
मेरी जाँ निकलते निकलते निकलती
मेरे बाज़ुओं में वो पत्थर की मूरत
ख़ुशी से पिघलते पिघलते पिघलती
ये माना है मुश्किल मगर मेरी क़िस्मत
कभी तो बदलते बदलते बदलती
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