सारी दुनिया की निगाहों से बचाकर रखना,
अपनी आँखों में ही हर दर्द का ज़ेवर रखना
उसको आदत ये परेशान बहोत रक्खेगी,
उसकी आदत थी मेरा हाथ पकड़कर रखना
इसका क्या शिकवा उसे रोक नहीं पाए हम,
एक मुफ़लिस को कहाँ आता है ज़ेवर रखना
हाय! वो इश्क़ छिपाने के ज़माने मोहन!
याद आता है गलत नाम से नम्बर रखना
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