अभी हमको मुनासिब आप होते से नहीं लगते
ब–चश्म–ए–तर मुख़ातिब हैं प रोते से नहीं लगते
वही दर्या बहुत गहरा वही तैराक हम अच्छे
हुआ है दफ़्न मोती अब कि गोते से नहीं लगते
ये आई रात आँखों को चलो खूँ–खूँ किया जाए
बदन ये सो भी जाए आँख सोते से नहीं लगते
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