राज़ जो भी था नज़र में आ गया
आपका चेहरा नज़र में आ गया
वक़्त आया था बुरा सो देख लो
आपका लहजा नज़र में आ गया
डूबने वाली थी कश्ती इश्क़ की
और इक तिनका नज़र में आ गया
पाक था मैं और दामन था सफ़ेद
ख़ून का धब्बा नज़र में आ गया
काम भी सारा किया और चुप रहे
बोलने वाला नज़र में आ गया
कल पिताजी हँस रहे थे और तभी
पैर का छाला नज़र में आ गया
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