हमेशा ही बड़ी प्यारी बहुत अच्छी
कभी ग़ुस्सा नही दादी बहुत अच्छी
डरा था ख़्वाब में सो आके दादी ने
सुनाई ख़्वाब में लोरी बहुत अच्छी
थकी थी बोल से वो खेलकर फिर भी
वो मेरे साथ फिर खेली बहुत अच्छी
किसी जिद को मेरी वो मानती थी जब
मैं कहता था मेरी बच्ची बहुत अच्छी
कोई भी मर्ज़ हो सकती नहीं मुझको
ख़ुदा बन उसने मालिश की बहुत अच्छी
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