बड़ी मुश्किल हुई है ज़िंदगी आसान करने में
कमी होती है हर इक शख़्स की पहचान करने में
जो कत्लेआम कर संसद की सीढ़ी पार करते हैं
लगा दो ताकतें ऐसों का तुम गुनगान करने में
मिरी आँखों में दुनिया को कहीं पानी नहीं मिलता
लगा दीं मुद्दतें आँखों को रेगिस्तान करने में
इसे लग जाए आ के राम का इक तीर इस ख़ातिर
मिरे मन का हिरन भी व्यस्त है अब ध्यान करने में
शुरू होते ही जंगें सोचते दोनों तरफ हैं लोग
हुई है भूल हम से जंग का ऐलान करने में
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